What is school development plan and how Implement in school?

What is school development plan and how Implement in school?

विद्यालय विकास योजना क्या है। और इसे विद्यालय में कैसे लागू करें ?

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विद्यालय विकास योजना (school devlopment plan SDP) एक मूलभूत दस्तावेज है, जो बताता है कि---

  • वर्तमान समय में शाला में क्या निष्पादित हो रहा है।
  • वर्तमान समय में जो प्रवृत्तियाँ और कार्यनीतियां भविष्य में विद्यालय को किस प्रकार प्रभावित करेगा।
  • विद्यालय सुधार के लिए शाला स्तर पर क्या प्राथमिकताएं और लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं।
  • यह विद्यालय के ऊपर किये गए विद्यालय मूल्यांकन की जानकारी देता है , जैसे---
  1. विद्यालय की उपलब्धि की जानकारी।
  2. अध्यापन की गुणवत्ता की जानकारी।
  3. नेतृत्व एवं प्रबंधन की जानकारी।
  4. विद्यार्थियों की व्यवहारगत प्रकियाओं पर जानकारी।
  5. और अन्य जानकारी।
विद्यालय विकास योजना (school devlopment plan SDP) इस प्रकार की कार्यविधियाँ संचालित करती हैं , जिसमें विद्यालय से संबंधित अच्छे और सफल परिस्थितियों से संबंधित जानकारी एकत्रित की जा सकती हैं।
यह उन कार्यों को के लिए रूपरेखा उपलब्ध कराती हैं , जिन्हें लघु अवधि में किया जाना है , और जिन्हें दीर्घ अवधि में किया जाता है।
यह एक ऐसी कार्यविधि भी है , जिसके द्वारा समुदाय के विद्यार्थियों की सफलता के लिए एक तरफ विद्यालय को जवाबदेह ठहरा सकता है और दूसरी तरफ इसके द्वारा विद्यार्थियों में आये सुधार को भी आंका जा सकता है।

विद्यालय विकास योजना (school devlopment plan SDP) संस्था प्रमुख (Head of the institution) और शैक्षणिक स्टाफ के बीच , विद्यालय और समुदाय के साथ परामर्श में , अंत क्रियात्मक ओर सहयोगी संवाद की एक गतिशील प्रक्रिया का उत्पाद है।

How to prepare a school development plan (SDP) ?

विद्यालय विकास योजना कैसे तैयार करें?

विद्यालय विकास योजना कैसे तैयार करते समय निरीक्षण रिपोर्ट , विद्यालय मूल्यांकन से प्राप्त फीडबैक को शामिल करना चाहिए। योजना को निम्नलिखित क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है ---
  1. शैक्षिक (Educational)
  2. मानव संसाधन (human resource)
  3. भवन निर्माण (building construction)
  4. वित्त (Finance)
प्रत्येक क्षेत्र के उद्देश्य , सफलता की कसौटी और पूरा होने का अनुमानित समय पृथक-पृथक होगा।
किसी प्रभावी विद्यालय विकास योजना(school devlopment plan SDP) में समीक्षा , नियोजन , रूपरेखा , कार्यान्वयन और मूल्यांकन शामिल होता है। योजना को सफल और प्रभावी तभी बनाया जा सकता है। जब हम क्रियान्वयन को समय-समय पर मॉनिटर करते रहें।
क्या सही हो रहा है कहाँ काम अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो रहा है। यहाँ यह ध्यान रखना होगा कि योजना बनाते समय सभी परिस्थितियों को एकदम सही आंकलित करना किसी के लिए भी संभव नहीं होता इसलिये अनुवीक्षण और मूल्यांकन से प्रभावशीलता को आंका जा सके साथ ही ऊभरती हुई आवश्यकताओं को भी शामिल किया जा सके।

विद्यालय विकास योजना (school devlopment plan SDP) को मोनिटरिंग और मूल्यांकित करने के लिए पाठ मूल्यांकन वार्ता , अध्यापकों और विद्यार्थियों का साक्षात्कार करना , प्रश्नावली तैयार करना , माता-पिता और भागीदारों के साथ साक्षात्कार जैसी तकनीकों का प्रयोग किया जा सकता है।
एक विद्यालय विकास योजना (school devlopment plan SDP) तैयार करने के पहले हमको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए ---
  1. अपने उद्देश्यों और प्रयोजनों के संदर्भ में हम कहाँ हैं। (वर्त्तमान स्थिति की समीक्षा करना)
  2. हम कहाँ कैसे पहुचेंगे। (विस्तृत कार्ययोजना की रूपरेखा बनाना और कार्ययोजना लागू करना)
  3. हम वहाँ पहुँचते रहें हैं या नहीं इसकी जाँच कैसे करेंगें? (क्रियान्वयन को मॉनीटरिंग करना)
  4. हम वहाँ पहुँच गए कैसे जानेंगे। (क्रियान्वयन को मूल्यांकित करना)
विद्यालय विकास योजना (school devlopment plan) प्रक्रिया में मिशन और उद्देश्यों के गठन से प्रारंभ होती है। कुछ विद्यालय पहले समीक्षा करते हैं। फिर नियोजन प्रक्रिया में भागीदारी द्वारा मिशन , वृद्धि और उद्देश्यों स्पष्टता प्राप्त कर योजना बनाते हैं।

Vision of school devlopment plan (SDP) :

विद्यालय विकास योजना का ध्येय : 

भविष्य में विद्यालय कैसा हो ? समय के साथ विद्यालय में क्या परिवर्तन और अपेक्षाएं पूर्ण होनी चाहिए।

ध्येय हमारी निम्न प्रकार से मदद करते हैं :
  1. मुख्य ध्येय की स्पष्ट सूचना देते हैं।
  2. उद्देश्य उन लोगों को मार्गदर्शन और निर्देशन प्रदान करते हैं , जो योजनाओं को क्रियान्वयन में सम्मिलित होते हैं।
  3. अध्यापकों , विद्यार्थियों और माता-पिता /अभिभावकों के लिए प्रेरणा और कार्य के स्रोत बनते हैं।
  4. ये मूल्यांकन के लिए आधार प्रदान करते हैं।

Mission of school devlopment plan SDP :

विद्यालय विकास योजना का उद्देश्य :

उद्देश्य कथन को परिभाषित किया जा सकता है। यह इतना छोटा हो , कि याद रहे और इतना चुनौतीपूर्ण हो , कि लोग विचार करें । मिशन और दृष्टि (Vision) की रचना करते समय निम्नलिखित प्रश्नों पर विचार करें ---
  1. विद्यालय किसके लिए कार्य करता है?
  2. विद्यालय क्या सेवा प्रदान करता है?
  3. विद्यालय यह कार्य किस प्रकार करता है?
  4. विद्यालय के प्रमुख आदर्श , विश्वास , धारणाएं और मूल्य क्या हैं।

Devlopmet of school devlopment plan (SDP) :

शाला विकास योजना का विकास :

उद्देश्यों के निर्धारण के पश्चात कार्यविधि को निश्चित किया जाएगा। कार्यविधि के लिये मानवीय संसाधन और भौतिक संसाधन दोनों को तय करना। इस अवधि में सभी भागीदारों को काम सौंपना और कार्य की अधिक अवधि भी तय करना।

Implementation of school development plan :

शाला विकास योजना का क्रियान्वयन :

इस अवस्था में तय कार्यों का कार्यान्वयन होता है प्रभावी क्रियान्वयन के लिए निरंतर मॉनिटरिंग आवश्यक है , जिससे प्रगति और कठिनाईयों पर चर्चा हो सके।

विद्यालय विकास योजना (school devlopment plan- SDP) के कार्यान्वयन की मॉनिटरिंग निम्न तरीके से की जाती है :
कार्ययोजना में निर्धारित किये गए कार्यों को मोनिटरिंग करना आवश्यक होता है , क्योंकि कार्यान्वयन का नियंत्रण आवश्यक है यह कार्य प्रधानाध्यापक या योजना के टीम नेता के दद्वारा किया जाना चाहिए। इस कार्य की मॉनिटरिंग इस आधर पर की जाती है कि क्या नियोजित किया गया और क्या वस्तुतः किया गया। मोनिटर करते समय प्रबंधन यह तुलना करता है कि उद्देश्यों , क्रियाकलापों और आयोजन अवधि के दौरान निर्धारित समय सीमा में कितना और कैसा काम हुआ? बनाई गई योजना से प्रगति की तुलना की जाती है , क्या किया जा रहा है और क्या प्राप्त कर लिया गया है इस पर विचार किया जाता है। क्या हो रहा है , इसके बारे में प्रधानाध्यापक कई प्रकार के अनुवीक्षण कर सकते हैं।

  1. अवलोक :- योजना के क्रियान्वयन के समय विद्यालय में क्या हो रहा है , इसे ध्यान से देखना।
  2. अनौपचारिक वार्ता :- संबंधित लोगों से इस बारे में बात करना कि क्या हो रहा है।
  3. बैठक आयोजित करना :- टीम से या उत्तरदायीं लोगों से यह कहना वे अपने प्रधानाध्यापक से अकेले में मिल कर या समूह बैठकों के दौरान काम की प्रगति के बारे में उनको रिपोर्ट करें।
  4. आत्म-चिंतन :- कार्य में संलग्न व्यक्तियों को कार्य की प्रगति के बारे में अपने चिंतन और मूल्यांकन के आधार पर अपने विचार प्रकट करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  5. प्रतिवेदन :- प्रधानाध्यापक या नेतृत्वकर्ता कार्य की प्रगति पर लिखित प्रतिवेदन की माँग भी कर सकते हैं।

Evaluation of school development plan :

विद्यालय विकास योजना का मूल्यांकन :

यह अंतिम अवस्था है यह समीक्षा करती है कि योजना कितनी सफल रही। इसने विद्यार्थियों की प्रगति और उपलब्धि पर किस प्रकार प्रभाव डाला।

शाला विकास योजना का वार्षिक मूल्यांकन निम्नलिखित तरीके से किया जाता है :

वार्षिक मूल्यांकन इस लिए किया जाता है , 
जिससे ---
  • अगले वर्ष की योजना बनाने में मदद मिलेगी।
  • यह पता चले कि योजना कितनी अच्छी तरह से क्रियान्वित की गई।
वार्षिक मूल्यांकन एक व्यक्ति का चयन द्वारा भागीदारों के एक समूह द्वारा किया जा सकता है। यदि अधिक तटस्थ ,वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन की आवश्यकता है , जिससे पूर्वाग्रह की संभावना न रहें , तो किसी बाहरी व्यक्ति का चयन भी इस कार्य के लिए किया जा सकता है।

वार्षिक मूल्यांकन के 3 चरण होते हैं ---

  1. योजना और क्रियान्वयन में किये गये कार्यों को रेखांकित करना।
  2. उद्देश्य और अनुरूप किये कार्यों की तुलना कर निष्कर्ष निकलना कि उद्देश्य की पूर्ति कहाँ तक हुई। यदि आवश्यक है उपचारी कार्यवाही तो उस पर विचार।
  3. मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करना।

Role of teacher in school development plan :

विद्यालय विकास योजना में अध्यापक की भूमिका :-

विधायक विकास योजना (school devlopment plan-SDP) का मुख्य उद्देश्य होता है विद्यार्थियों की उपलब्धि स्तर में सुधार लाना। विद्यार्थियों पर सबसे अधिक प्रभाव अध्यापक का ही रहता है। अतः योजना में अध्यापक की भूमिका महत्वपूर्ण और निर्णायक होती है---
  1. प्राथमिकता निर्धारित करने उद्दश्यों को निश्चित करने और योजना को पूरी करने के लिए कार्यनीतियों के निर्माण में अध्यापक की भागीदारी होनी चाहिए। इन सारी प्रक्रियाओं में अध्यापक नेतृत्व भूमिका में होता है।
  2. योजना को कार्यान्वित करने में विद्यालय प्रबंधन और माता-पिता या समुदाय के साथ संबंध निर्माण में अध्यापक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
  3. अध्यापक ही यह सुनिश्चित करता है कि शिक्षण में सुधार के लिए बनाई गई कार्यनीति वास्तव में विद्यार्थियों की आवश्यकता पूर्ति कर रही है।
  4. विद्यार्थियों का मूल्यांकन कई प्रकार से करके उनकी उपलब्धि स्तर में पड़ने वाले प्रभाव की वास्तविकता को आंकना।
  5. विद्यार्थी शिक्षण , विद्यालय परिवेश और माता-पिता के फीडबैक प्राप्त करना।
  6. सभी स्तरों पर कार्यनीतियों के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाना।
यदि आपको इसी प्रकार की ओर जानकारी चाहिए तो इस वेबसाइट www.gyansource.com को follow करें।

°धन्यवाद°

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